लेखनी कविता -19-Aug-2024
शीर्षक - पूरा चांद
पूरा चांद तो मन भावों में होता हैं। दिल और चाहत का सहयोग रहता हैं। बस हम साथ किसी की सोच कहते हैं। पूरा चांद की तो जिंदगी अलग रहती हैं। तेरे मेरे बचपन की सोच ही पूरा चांद हैं। आधुनिक समय में सबकी अपनी सोच हैं। आज हम सभी समानता के साथ जीते हैं। पूरा चांद ही तो हम सभी समझते हैं। हमारी सोच और व्यवहार सम्मान होता हैं। सचमुच पूरा चांद ही आज हमारी सोच हैं। सच हम तुम संग पूरा चांद से मन जोड़ते हैं। तुम ख्बाव और हम दोनों देखें सोचते हैं। पूरा चांद ही तो जीवन का मिलन संग हैं।
नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Arti khamborkar
19-Aug-2024 09:50 AM
v nice
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